तापमापी (Thermometer) Kya hota Hain ?
ताप मापने वाले यंत्र को तापमापी कहते हैं। ताप मापने के लिए पदार्थ के किसी ऐसे गुण का प्रयोग किया जाता है जो ताप पर निर्भर करता है।
द्रव तापमापी (Liquid Thermometer) में मुख्यतः: अल्कोहल या पारे का प्रयोग किया जाता है। अल्कोहल का प्रयोग -40°C से नीचे के ताप को मापने के लिए किया जाता है क्योंकि अल्कोहल -115°C पर जमता है। पारे को तापमापी के लिए प्रयोग -30 से 350°C तक के ताप मापने के लिए किया जाता है क्योंकि पारा 39°C पर जम जाता है एवं 357° पर उबलने लगता है।
मनुष्य के शरीर का ताप मापने वाले थर्मामीटर को क्लिनिकल थर्मामीटर कहते हैं, इस थर्मामीटर में न्यूनतम बिन्दु 95°F(35°C) तथा उच्चतम बिन्दु 110°F(43°C) अंकित होता है। कमरे के ताप पर पारा धातु तरल अवस्था में बनी रहती है।
हाइड्रोजन गैस तापमापी से 500°C तक के ताप को मापा जा सकता है। नाइट्रोजन गैस तापमापी स 1500°C तक के ताप को मापा जा सकता है।
-200°C से 1200°C तक के माप को मापने के लिए प्लेटनिम प्रतिरोध तापमापी का उपयोग किया जाता है। तापयुग्म तापमापी से -200°C से 1600°C तक के ताप को मापा जा सकता है, यह तापमापी सीबेक प्रभाव (Seebeck Effect) पर आधारित है।
बहुत उच्च तापमान को मापने के लिए ताप-वैद्युत उत्तापमापी का प्रयोग किया जाता है। अल्कोहल थर्मामीटर का उपयोग न्यूनतम तापमान ज्ञात करने में किया जाता है।
अत्यधिक ऊंचे एवं दूर स्थित वस्तुएँ जैसे सूर्य इत्यादि के तापों को मापने के लिए पूर्ण विकिरण उत्तापमापी का प्रयोग किया जाता है।
इसके द्वारा प्राय: 800°C से ऊंचे ताप ही इस तापमापी से मापे जाते है। यह तापमापी स्टीफन के नियम पर आधारित है।
ताप के पैमाने (Scale of temperature)
सेल्सियस (Celsius Scale): सेल्सियस पैमाने का आविष्कार स्वीडन के वैज्ञानिक सेल्सियस ने किया था, जिसके कारण उन्हीं के नाम पर इसे सेल्सियस पैमाना कहते हैं।
सेल्सियस पैमाने में हिमांक को 0°C तथा भाप-बिन्दु को 100°C में अंकित किया जाता है तथा इनके बीच की दूरी को 100 बराबर भागों में बांट दिया जाता है तथा प्रत्येक भाग को 1°C कहते हैं।
फारेनहाइट पैमाना (Fahrenheit Scale): फारेनहाइट पैमाने का आविष्कार जर्मन वैज्ञानिक फारेनहाइट ने किया था। फारेनहाइट पैमाने में ताप को अंग्रेजी के बड़े अक्षर 'F' से प्रदर्शित करते हैं।
इस पैमाने में हिमांक या निचले बिन्दु को 32°F पर अंकित किया जाता है तथा भाप बिन्दु या ऊपर बिन्दु को 212°F पर अंकित किया जाता है तथा इनके बीच की दूरी को 180 बराबर खानों में बाट दिया जाता है।
फारेनहाइट पैमाने का उपयोग वैज्ञानिक मौसम का अनुमान लगाने व चिकित्सा के क्षेत्र में करते हैं, जिसके स्थान पर अब सेल्सियस पैमाने का उपयोग किया जाता है।
रयमर पैमाना (Reaumur Scale): यूमर पैमाने पर अधोबिन्दु या हिमांक को 0° तथा ऊर्ध्वबिन्दु या भाप बिन्दु को 80° पर अंकित किया जाता है। इन दोनों बिन्दुओं के बीच की दूरी को 80 बराबर भागों में बांट दिया जाता है इस पैमाने पर ताप को R से प्रदर्शित करते हैं।
केल्विन पैमाना (Kelvin Scale): केल्विन पैमाने पर हिमांक या अधोबिन्दु को 273°K तथा भाप बिन्दु को 373° पर अंकित किया जाता है। इन दोनों बिन्दुओं के बीच की दूरी को समान 100 भागों में विभाजित कर दिया जाता है।
केल्विन पैमाने पर ताप को केल्विन (K) से व्यक्त किया जाता है। इस पैमाने में अधोबिन्दु को 0°K जल के हिमांक से 273°K नीचे होता है।
विशिष्ट ऊष्मा (Specific Heat): किसी पदार्थ के । ग्राम द्रव्यमान के ताप में 1C वृद्धि करने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को उस पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा कहते हैं।
विशिष्ट ऊष्मा का मात्रक कैलोरी/ग्राम डिग्री सेल्सियस है। 1 ग्राम जल का ताप 1°C बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को 1 कैलोरी कहते हैं। ऊष्मा का बड़ा मात्रक किलो कैलोरी है जो 1000 कैलोरी के बराबर होता है।
परम ताप परम ताप केल्विन तापक्रम पर आधारित है जिसके अनुसार दाब पर पानी का हिमांक 263° k और क्वथनांक 363°k होता है। परम ताप का मान सेन्टीग्रेड ताप और 273°k के योग के बराबर होता है।
परम शून्य - 273.15° C के बराबर होता है। सिद्धांत: परम शून्य ताप पर समस्त आणविक गतियाँ शून्य हो जाती है। परम शून्य तापमान वह तापमान जिस पर गैस का आयतन और दाब शून्य हो जाता है, परम शून्य तापमान कहलाता है।
यह -273.15°C के बराबर होता है।
दाब का नियम (Pressure Law): स्थिर आयतन पर किसी गैस क निश्चित द्रव्यमान का दाब (P) उसके ताप (T) के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात् PaT (स्थिर आयतन पर)
P/T = नियतांक
चार्ल्स का नियम (Charles Law): स्थिर दाब पर किसी गैस के निश्चित द्रव्यमान का आयतन (V) उसके परम ताप (T°K) के समानुपाती होता है। VaT दोनों नियमों को मिलाने पर PV = RT मिलता है जहाँ R स्थिरांक है। PV = RT आदर्श गैस समीकरण कहलाता है।
जो गैस इसका पूर्ण रूपेण पालन करती है, वह आदर्श गैस कहलाती है अर्थात् (VaT स्थिर ताप पर) जहाँ T परम ताप = (t° सेंटीग्रेड + 273.15°) केल्विन।
बॉयल का नियम (Boyle's Law): स्थिर ताप पर किसी गैस के निश्चित द्रव्यमान का आयतन (V) उसके दाब (P) के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात् P a1/v (स्थिर ताप पर) या, PV=K जहाँ K = स्थिरांक।
आवोगाद्रो का नियम (Avogadro's Law): समान ताप और दाब पर सभी गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या भी समान होती है, अर्थात VO.N (स्थिर ताप और दाब पर)।
जहाँ N = गैस के अणुओं की संख्या या एवोगाद्रो संख्या या. VaN जहाँ N= गैसों के मोलों की संख्या (ग्राम अणुओं की संख्या)
सामान्य ताप एवं दाब पर विभिन्न गैसों के एक ग्राम अणु का आयतन 22.4 लीटर होता है तथा इस 22.4 लीटर में 6.02 x 1023 अणु होते हैं, यह संख्या एवोग्रेदा कहलाती हैं।
ऊर्ध्वपातन जब किसी ठोस को गर्म किया जाता है, तो वह पहले द्रव में फिर गैस में परिवर्तित होते हैं, लेकिन जब कोई पदार्थ गर्म करने पर ठोस अवस्था से सीधे गैस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है, तो इस क्रिया को उर्ध्वपातन कहते हैं। जैसे-कपूर को गर्म करने पर वह बिना द्रव में बदले सीधे गैस में बदल जाता है।
गुप्त ऊष्मा (Latent Heat): ताप की वह मात्रा जो तापक्रम में परिवर्तन लाए बिना एक ग्राम पदार्थ की अवस्था परिवर्तन के लिए अपेक्षित हो गुप्त ऊष्मा कहलाती है। इसे जूल/किग्रा, या कैलोरी/ग्राम में मापा जाता है। उबलते जल की अपेक्षा भाप से जलने पर अधिक कष्ट होता है क्योंकि 100°C के जल की अपेक्षा 100°C के भाप की गुप्त ऊष्मा का मान अधिक होता है, इसलिए जल की अपेक्षा भाप से जलने पर अधिक कष्ट होता है।
गलन तथा गलनांक (Melting and Melting Point): पदार्थों के ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तित होने को गलन कहते हैं तथा वह स्थिर ताप जिस पर पदार्थ ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तित होता है, ठोस का गलनांक कहलाता है।
वाष्पीकरण (Evaporation): किसी भी ताप पर पदार्थ की द्रव अवस्था के वाष्प में परिवर्तित होने की क्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं। वाष्पीकरण द्रव की सतह से प्रारंभ होता है। वाष्पीकरण में द्रव के अणुओं की ऊर्जा सामान्य से अधिक होती है, वे द्रव की सतह को छोड़कर चले जाते हैं जिससे द्रव का ताप गिर जाता है।

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