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C.P. राधाकृष्णन बने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति!

सी.पी. राधाकृष्णन बने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति — जानें ताज़ा अपडेट्स सहित पूरा हाल

नई दिल्ली, 12 सितंबर 2025 — भारत ने आज एक नया अध्याय शुरू किया है। चंद्रपुरम पोनुसामी राधाकृष्णन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से शपथ ली और आधिकारिक तौर पर भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बने। इसी के साथ उन्होंने राज्यसभा के सभापति का पद भी संभाला।


🗳️ चुनाव, मत और प्रभाव

  • चुनाव 9 सितंबर को हुआ, जिसमें राधाकृष्णन ने 452 वोट हासिल किए, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुलेर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले।

  • कुल 781 सांसदों में से 767 ने मतदान किया, यानी करीब 98% मतदान हुआ।

  • यह चुनाव पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से 21 जुलाई को इस्तीफ़ा देने के बाद हुआ।


🙏 शपथ ग्रहण समारोह और मौजूदगी



  • शपथ ग्रहण समारोह राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में सुबह 10 बजे हुआ।

  • इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला जैसे कई बड़े नेता मौजूद रहे।

  • पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी इस मौके पर हिस्सा लिया, यह उनका इस्तीफे के बाद पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था।


📜 व्यक्तित्व और राजनीतिक सफर

  • राधाकृष्णन का जन्म 4 मई 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर में हुआ।

  • उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जनसंघ से की, बाद में भाजपा में शामिल होकर तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष बने।

  • 1998 और 1999 में उन्होंने कोयम्बटूर से लोकसभा चुनाव जीता और राज्य की राजनीति में भाजपा को मज़बूत किया।

  • वे झारखंड और महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रह चुके हैं।

  • उन्हें एक स्वच्छ छवि वाले, सीधे और स्पष्ट बोलने वाले नेता के रूप में जाना जाता है।


🌟 नई सोच और मिशन

  • राधाकृष्णन ने अपनी जीत को “राष्ट्रीयता की विचारधारा की जीत” बताया।

  • उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य है और इसके लिए राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठना होगा।

  • उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल (कोऑपरेटिव फेडरलिज़्म) को लोकतंत्र की मजबूती का आधार बताया।


✅ ताज़ा अपडेट्स और विशेष बातें

  • शपथ ग्रहण के बाद राधाकृष्णन ने राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और चौधरी चरण सिंह को भी नमन किया।

  • चुनाव के दौरान NDA को अपेक्षा से ज़्यादा वोट मिले, जिससे साफ हुआ कि कुछ विपक्षी सांसदों ने भी क्रॉस वोटिंग की।

  • तमिलनाडु में उनके समर्थकों ने इस जीत को “सोन ऑफ सॉइल” की कामयाबी बताया। वे तीसरे तमिल नेता हैं जो इस संवैधानिक पद पर पहुँचे हैं।


📌 उपराष्ट्रपति पद की अहमियत और चुनौतियाँ

भारत के उपराष्ट्रपति का पद केवल औपचारिक नहीं है — वे राज्यसभा के सभापति होते हैं और संसद की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाना उनकी ज़िम्मेदारी होती है। साथ ही राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति का दायित्व भी संभालना पड़ सकता है।

राधाकृष्णन के सामने मुख्य चुनौतियाँ होंगी:

  • संसद में विपक्ष और सरकार के बीच संतुलन बनाए रखना।

  • संवैधानिक मर्यादाओं के भीतर रहते हुए निष्पक्ष रहना।

  • राजनीतिक ध्रुवीकरण के बीच संवाद कायम रखना।

  • केंद्र और राज्य सरकारों में बेहतर तालमेल सुनिश्चित करना।



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