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Don’t Look Up’ ने खोली जलवायु संकट की सच्चाई – एडम मैके की फिल्म से सीख जो हर किसी को हिला देगी!

 

प्रस्तावना: क्यों यह फिल्म सिर्फ सिनेमा नहीं, एक चेतावनी है

2021 में रिलीज़ हुई Don’t Look Up नेटफ्लिक्स पर आते ही तहलका मचा गई। फिल्म की कहानी भले ही एक काल्पनिक धूमकेतु पर आधारित है, लेकिन असल में यह जलवायु संकट और हमारी सामूहिक असफलताओं का आईना है।

निर्देशक एडम मैके, जिन्होंने Anchorman जैसी हल्की-फुल्की कॉमेडी से शुरुआत की थी, ने इस फिल्म के जरिए साबित कर दिया कि सिनेमा समाज को झकझोरने का सबसे ताकतवर माध्यम हो सकता है।





एडम मैके: कॉमेडी से पॉलिटिकल सिनेमा तक का सफर

  • शुरुआती दौर में मैके ने Saturday Night Live के लिए लिखना शुरू किया।

  • Anchorman (2004), Talladega Nights (2006) और Step Brothers (2008) जैसी फिल्मों से वे “कॉमेडी किंग” के नाम से मशहूर हुए।

  • लेकिन 2015 की The Big Short से उन्होंने दुनिया को चौंका दिया। यह फिल्म 2008 की आर्थिक मंदी की जटिलताओं को सरल भाषा और व्यंग्य में समझाती है।

  • इसके बाद 2018 में आई Vice — अमेरिका के उपराष्ट्रपति डिक चेनी की सत्ता की भूख और उसके परिणामों पर बनी फिल्म।

  • और फिर 2021 में आई Don’t Look Up, जिसने मैके को एक ऐसे फिल्मकार के रूप में स्थापित किया जो सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि चेतावनी और बदलाव का संदेश भी देता है।


Don’t Look Up: कहानी का सार

फिल्म में दो खगोलशास्त्री — डॉ. रैंडल मिन्डी (लियोनार्डो डिकैप्रियो) और पीएचडी छात्रा केट डिबिआस्की (जेनिफर लॉरेंस) — एक विशाल धूमकेतु की खोज करते हैं जो सीधे पृथ्वी से टकराने वाला है।

  • वे राष्ट्रपति (मेरिल स्ट्रीप) और मीडिया को चेतावनी देते हैं।

  • लेकिन राजनीति, चुनाव, टीआरपी और कॉरपोरेट लालच में उलझी दुनिया उनकी बात को हल्के में लेती है।

  • सोशल मीडिया पर लोग मज़ाक उड़ाते हैं, न्यूज़ चैनल मनोरंजन बनाते हैं और बड़े उद्योगपति इस खतरे को मुनाफे के अवसर में बदलना चाहते हैं।

धूमकेतु यहाँ सिर्फ एक प्रतीक है — असल में यह जलवायु संकट, प्रदूषण, और हमारी अनदेखी का प्रतिनिधित्व करता है।


प्रतीक और व्यंग्य: फिल्म के छुपे संदेश

  1. राजनीति – राष्ट्रपति और नेता सिर्फ चुनाव और छवि सुधारने में लगे रहते हैं।

  2. मीडिया – खबर को मनोरंजन बनाकर पेश करना और गंभीर मुद्दों को हल्का करना।

  3. कॉरपोरेट लालच – एक अरबपति (पीटर इशरवेल) इस संकट को भी बिज़नेस के मौके में बदलना चाहता है।

  4. जनता की उदासीनता – लोग सच को स्वीकारने की बजाय सोशल मीडिया ट्रेंड्स और मीम्स में व्यस्त हैं।

  5. विज्ञान का मज़ाक – वैज्ञानिकों को “पागल”, “ओवरड्रामेटिक” कहकर चुप कराना।


फिल्म पर आलोचना और विवाद

  • कई समीक्षकों ने इसे “बहुत ज़्यादा सीधा व्यंग्य” बताया।

  • कुछ ने कहा कि फिल्म “भारी और preachy” है।

  • लेकिन एक्टिविस्ट्स और जलवायु वैज्ञानिकों ने इसे एक मास्टरपीस माना क्योंकि यह वही दर्शाता है जो वास्तविक जीवन में हो रहा है।


जनता की प्रतिक्रिया: नेटफ्लिक्स से सोशल मीडिया तक

  • रिलीज़ के बाद फिल्म नेटफ्लिक्स की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली फिल्मों में शामिल हो गई।

  • ब्राज़ील, फ्रांस, भारत, अमेरिका — हर जगह फिल्म पर बहस छिड़ गई।

  • पर्यावरण संगठनों ने इस फिल्म का इस्तेमाल जलवायु संकट पर जागरूकता फैलाने के लिए किया।


जलवायु संकट: वास्तविकता बनाम फिल्म

फिल्म में दिखाया धूमकेतु भले ही काल्पनिक हो, लेकिन असली दुनिया में जलवायु परिवर्तन उसी स्तर का खतरा है।

  • भारत: हिमालयी ग्लेशियर पिघल रहे हैं, असम और बिहार हर साल बाढ़ से जूझते हैं, राजस्थान और गुजरात सूखे की चपेट में हैं।

  • यूरोप: 2022 में रिकॉर्ड तोड़ हीटवेव से हज़ारों लोगों की मौत।

  • अमेरिका: कैलिफ़ोर्निया की जंगल की आग और फ्लोरिडा के तूफान लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

यानी फिल्म का संदेश साफ है — खतरा सामने है, लेकिन हम अब भी “Don’t Look Up” यानी “ऊपर मत देखो” वाली मानसिकता में फंसे हुए हैं।


दूसरी फिल्मों से तुलना

  • The Day After Tomorrow (2004) – ग्लोबल वार्मिंग के कारण अचानक जलवायु आपदा।

  • Interstellar (2014) – पृथ्वी के बंजर हो जाने के बाद इंसान का नया घर ढूंढना।

  • Snowpiercer (2013) – असफल जलवायु प्रयोग से जमी हुई धरती पर ट्रेन में सिमटी सभ्यता।

लेकिन Don’t Look Up इन सबसे अलग है क्योंकि यह भविष्य नहीं, बल्कि आज की राजनीतिक और सामाजिक असफलताओं को व्यंग्य में दिखाती है।


भारत का संदर्भ: क्यों हमारे लिए यह फिल्म ज़रूरी है

  • भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है।

  • दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे शहर प्रदूषण की वजह से दम तोड़ रहे हैं।

  • 2023 में चेन्नई और 2024 में बेंगलुरु में बाढ़ ने दिखा दिया कि शहरी योजना कितनी कमजोर है।

इसलिए भारतीय दर्शकों के लिए यह फिल्म सिर्फ हॉलीवुड एंटरटेनमेंट नहीं, बल्कि एक चेतावनी है।


एडम मैके का संदेश

मैके कहते हैं:

“अगर हम संकट को स्वीकार नहीं करेंगे, तो हम खुद अपनी बर्बादी लिख रहे हैं।”

उनके अनुसार फिल्म सिर्फ मजाक नहीं, बल्कि “wake-up call” है।


FAQs (SEO Section)

Q1: Don’t Look Up किस बारे में है?
Ans: यह फिल्म एक धूमकेतु के बहाने जलवायु संकट और समाज की उदासीनता पर व्यंग्य है।

Q2: फिल्म पर इतनी आलोचना क्यों हुई?
Ans: कई लोगों ने इसे “बहुत ज़्यादा सीधा व्यंग्य” कहा, लेकिन यही इसका असली संदेश था।

Q3: क्या यह फिल्म भारत से जुड़ी है?
Ans: सीधे तौर पर नहीं, लेकिन इसमें उठाए गए मुद्दे भारत में भी उतने ही प्रासंगिक हैं।

Q4: एडम मैके कौन हैं?
Ans: हॉलीवुड निर्देशक और लेखक, जिन्होंने The Big Short, Vice और Anchorman जैसी फिल्में बनाई हैं।

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