इस पोस्ट मैं हम आपको उपसर्ग व् प्रत्यय के बारे में बताएंगे। साथ में ही pdf फाइल भी दी गई हैं।
उपसर्ग
'उपसर्ग' (prefix) उस शब्दांश या अव्यय को कहते हैं, जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ प्रकट करे। उपसर्ग दो शब्दों 'उप' तथा 'सर्ग' से बनता है। 'उप' का अर्थ समीप तथा 'सर्ग' का अर्थ सृजन करने वाला, अर्थात् शब्द के निकट आकर नये शब्द का सृजन करने वाले शब्दांश को 'उपसर्ग' (prefix) कहते हैं।जैसे प्र + हार = प्रहार हिन्दी में संस्कृत, हिन्दी तथा उर्दू के उपसर्ग प्रयुक्त होते हैं। हिन्दी में उपसर्गों की संख्या 41 है, जिसमें संस्कृत के 22 उपसर्ग भी शामिल हैं।
महत्वपूर्ण उपसर्ग तथा उनसे बनने वाले शब्द
उपसर्ग निर्मित शब्द
अधि - अधिकरण, अधिराज, अध्यात्म, अध्यक्ष, अधिपति, अधिकार इत्यादि।
अप - अपमान, अपशब्द, अपहरण, अपराध, अपयश, अपव्यय, अपवाद, अपकर्ष इत्यादि।
अनु - अनुशासन, अनुकरण, अनुवाद, अनुज, अनुशीलन, अनुकूल,
अनुस्वार, अनुपात इत्यादि।
अति - अतिशय, अतिरिक्त, अत्यन्त, अत्याचार, अतिक्रमण,
अतिव्याप्ति इत्यादि।
उप - उपकार, उपनिवेश, उपस्थिति, उपवन, उपनाम, उपासना, उपदेश,
उपहार इत्यादि।
अभि - अभिभावक, अभियोग, अभिमान, अभ्युदय, अभ्यागत, अभ्यास,
अभिनव, अभिलाषा इत्यादि।
अव - अवगत, अवलोकन, अवनत, अवसान, अवशेष, अवतार, अवनति,
अवज्ञा, अवरोही इत्यादि।
परि - परिवर्तन, परिणय, परिक्रमा, परिजन, परिणाम, परिधि, परिपूर्ण,
परिचय, परिशीलन इत्यादि।
नि - निदर्शन, अनुपात, नियुक्त, निवास, निमग्न, निदान, निबंध,
निषेध इत्यादि।
प्रति - प्रतिकर्त्तव्य, प्रकृति, प्रतिग्रह, प्रत्येक, प्रतिद्वं, प्रतिनायक प्रतिपालन,
प्रतिज्ञा, प्रतिच्छाया इत्यादि।
वि - विकास, विज्ञान, विशुद्ध, विदेश, विराम, वियोग, विभाग, विभिन्न,
विनाश, विकराल, विभूति।
सु - सुकोमल, सुडौल, सुजान, सुपात्र, सुविदित, सुवासित, सुशील,
सुश्रुत, सुशब्द।
स - सगोत्र, सरस, सहित, सपूत, सजग, सहर्ष, सविनय, सलक्षण, सलज्ज।
ला - लाचार, लाजवाब, लापरवाह, लापता, लावारिस, लानत, लागत।
सम् - संकल्प, संग्रह, सन्तोष, संन्यास, संयोग, संस्कार, संरक्षण, सम्मेलन,
संस्कृत।
भर - भरसक, भरपेट, भ्रमर, भरपूर, भरपूर, भरपूर।
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प्रत्यय
वे शब्द हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर अपनी प्रकृति के अनुसार शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं, उसे 'प्रत्यय' कहा जाता है। 'प्रत्यय' का निर्माण 'प्रति + अय' से हुआ है। प्रति का अर्थ है 'साथ में तथा 'अय' का अर्थ चलने वाला होता है.जैसे:-
समाज + इक = सामाजिक
सुगंध +इत = सुगंधित
भूलना +अक्कड = भुलक्कड
मीठा +आस = मिठास
लोहा +आर = लुहार
संस्कृत के प्रत्यय
(i) कृत प्रत्यय
(ii) तवादित प्रत्यय
जैसे:- वाला (कृत - प्रत्यय) + हंसना (क्रिया) = हंसने वाला (शब्द)
हिन्दी क्रिया पदों के अन्त में कृत-प्रत्ययों के योग से (1) कर्तृवाचक (2) कर्मवाचक (3) करणवाचक तथा (4) भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं।
हिन्दी के कृत-प्रत्ययों के उदाहरण
प्रत्यय धातु शब्द
अन्त कथा कथान्त
आई भल भलाई
अ चल चाल
अन्त दुःख दुखान्त
आन मिल मिलान
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